ये कैसा अनोखा गीत ढूँढ निकाला आपने याद नहीं पड़ रहा कि आखिरी बार कब सुना था,, शायद पहली बार ही सुन रहा हूँ रफ़ी साहब और सुमन कल्यानपुर की मीठी आवाज़ और नाशाद साहब (नौशाद नहीं) का सुरीला संगीत ... नाशाद की मौसिक़ी में आपने फिल्म "बारादरी" और "आंसू" के गीत तो सुने होंगे ऐसी नायाब प्रस्तुति के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं .
ये कैसा अनोखा गीत ढूँढ निकाला आपने
ReplyDeleteयाद नहीं पड़ रहा कि आखिरी बार
कब सुना था,, शायद पहली बार ही सुन रहा हूँ
रफ़ी साहब और सुमन कल्यानपुर की मीठी आवाज़
और नाशाद साहब (नौशाद नहीं) का सुरीला संगीत ...
नाशाद की मौसिक़ी में आपने
फिल्म "बारादरी" और "आंसू" के गीत तो सुने होंगे
ऐसी नायाब प्रस्तुति के लिए
मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं .