Monday, July 11, 2011

चाँद है तारे भी है और ये तन्हाई भी ..........(रफ़ी & सुमन कल्याणपुर )

1 comment:

  1. ये कैसा अनोखा गीत ढूँढ निकाला आपने
    याद नहीं पड़ रहा कि आखिरी बार
    कब सुना था,, शायद पहली बार ही सुन रहा हूँ
    रफ़ी साहब और सुमन कल्यानपुर की मीठी आवाज़
    और नाशाद साहब (नौशाद नहीं) का सुरीला संगीत ...
    नाशाद की मौसिक़ी में आपने
    फिल्म "बारादरी" और "आंसू" के गीत तो सुने होंगे
    ऐसी नायाब प्रस्तुति के लिए
    मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं .

    ReplyDelete