Thursday, September 6, 2012

ये ज़िन्दगी के मेले दुनिया में कम न होगे ..........


2 comments:

  1. हमारे बाद इस महफ़िल में अफ़साने बयाँ होंगे, बहारें हमको ढूंढेंगी , न जाने हम कहाँ होंगे....
    बहुत सुन्दर....ये शब्द-पुष्टिकरण तो हटाओ निवेदिता...बड़ी दिक्कत करता है.

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