Wednesday, June 8, 2011

क़श्ती का ख़ामोश सफ़र है,शाम भी है तन्हाई भी ............(सुधा मल्होत्रा)


1 comment:

  1. अहा...एकदम नई गज़ल सुनने का मौका मिला... वह भी ख़ामोशी पर..शुक्रिया निवेदिता...

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