गाना - बजाना
Wednesday, June 8, 2011
क़श्ती का ख़ामोश सफ़र है,शाम भी है तन्हाई भी ............(सुधा मल्होत्रा)
1 comment:
मीनाक्षी
June 14, 2011 at 1:47 AM
अहा...एकदम नई गज़ल सुनने का मौका मिला... वह भी ख़ामोशी पर..शुक्रिया निवेदिता...
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